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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Sunday, May 24, 2015

आरक्षण

‪#‎होराहाभारतनिर्माण‬
आरक्षण का कोढ़ देश को रुग्ण बना रहा । युवा पीढ़ी में हताशा भर रहा केवल वो ही नही इसका प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है देश तो लंगड़ा हो ही चूका। क्या इसके जिम्मेदार हम नही ? क्या हमारी ये जिम्मेदारी नही बनती की हम एक जुट हो इसके खिलाफ मुहीम छेड़े। मुझे लगता है ये मशाल ले कर हमें ही बढ़ना चाहिए आगे युवा पीढ़ी के पास बहुत काम है उन्हें अपना भविष्य संवारना है अभी। मेहनत करनी है वो अगर इसमें इन्वोल्व हो गये तो उनका भविष्यऔर भी अंधकारमय हो जायेगा । हम जैसे लोग जो अब अपनी जिदगी के उस पड़ाव पर है जहाँ हम अपनी जिम्मेदारी पूरी कर चुके और समय बिताने के लिए फेसबुक इत्यादि का सहारा लेते है प्रेम। अगन विरह पर कविताये रच रच के हमें ही अपने इस समय का सदुपयोग अपने होनहारो नौनिहालों को उनका हक़ दिलाने कइ लिये करना चाहिए चाहे लिख कर या कोई संस्था संगठन बना कर सडको पर उतर कर जैसे जो रास्ता मिले हमारी ये गलती सुधारनी हमें ही होगी ।
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दिनेश पारीक दिनेश पारीक की विचारणीय रचना
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परीक्षा मैंने ही नहीं
मेरे पूरे परिवार ने दी थी
कुछ उम्मीदे भी साथ थी
हर बार की तरह ख्वाब भी वही
और परिणाम से निराशा
मुझे से ज्यादा परिवार को हुयी
दिलासा उन से ही मिली
कितनी बार जीत कर हारा हूँ
पता है उनको भी मुझे भी
मै न आज और न पहले
में हर बार % पर सोचता रहा
वो पिछड़ा पन इतराते रहे
परिणाम से कभी नहीं घबराया
पर अब लगता है इस आरक्षण
से मैं न जीत पाउँगा
मैं अब चुनाव नहीं कर पा रहा हूँ
की मुझे किस से जीतना ह

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