एक नज़र ..चलते चलते
.
** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *
Sunday, May 31, 2015
अंतिम कश
क्षणिका
----------------
बेबस
देखता रहा
टकटकी लगाये
छलकती ,ममतामयी आँखें
दम तोड़ती
पिता की अभिलाषाएं
धीरे -धीरे
धुएं के छल्लो में
विलीन होते
जिंदगी लगा चुकी थी
अंतिम कश
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment