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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Wednesday, January 2, 2013

haiku









निहारे सूर्य
कोहरे की चादर
हुआ मायूस 

सूरज सोया
ओढ़ मोती रजाई
खवाबों में खोया

झीनी चादर
देती  गरमाहट
आकाश तले

एक कैंडल
न्याय ..सद्भाव हेतु
जलाना तुम 


गुजरे लम्हे
बिखेरते मुस्कान
लबों पे मेरे 



गुजरे लम्हे
बने हमकदम 
 तन्हा सफ़र 

गुजरे लम्हे
बनते हमराज़
तन्हा रातो में 




2 comments:

pinks said...

Bahut hi sunder


pinks said...

Meri sangat ka asar hai..

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