बांसुरी बनूँ
तेरे होठो पे सजू
गीतों में ढलूँ
नैन हमारे
बसे ख्वाब तुम्हारे
है मनमानी /अतिक्रमण
कोमल साँसे
बांधे नाजुक रिश्ते
फिर से जी ले
नैना बाबले
शरमो हया भरे
झुके रहते
मन के घाव
बन गए नासूर
रिसते रहे
झूमे मनवा
सुन री ओ पुरवा
संग है पिया
मनमोहन
बड़ा है चित्तचोर
भोली ग्वालन
चालाक बड़ी
करे है पक्षपात
बांसुरी तेरी
कूकी कोयल
अमवा की डारी पे
छाया वसंत
शाश्वत प्रेम
राधामोहन युग्म
जग क्या जाने
No comments:
Post a Comment